उसके उड़ान का हौसला बन तू,
उसके फैसले की वजह बन तू।
उसे मुमबत्ती की लौ ना समझ,
पत्थर चीरने की आग हैं वो।
दिन ढले तो दिन ना उसका,
वो ढलती शम्स का सूरज आजमाएगी।
तो क्या हुआ?
वो चांद नहीं बनेगी किसी का,
‘खुद’ का सूरज जरूर बनेगी ।
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