एक बस (bus) जिसे कदर हैं हर सिसक की।
जो हकदार हैं कई सच्ची कहानियों की।
कितने लाजमी सपनों की, कितने प्यार भरे किस्सों की।
एक झगड़ा उसके नाम हैं।
एक नींद भरी डुलकी उसकी शान हैं।
ये कोई मामूली जगह नहीं, एक पुरानी आजी के पूरे बस में हक जताने की और दो बुड्ढे दादाजी के राजनीति की शिखस्त हैं।
एक झगड़ा यहां पुराना हैं, वो महिलाओं के सीट पर मर्दों की तशरीफ़ ना जाने कितने अर्सों का गुनाह हैं।
रात बड़ी मस्तानी होती हैं यहां, हवाओं का तैरना गुदगुदी हैं उसी पास बैठे प्यार में डूबे दो दिलों के लिए।
कुछ पल यहाँ इंसानो की दुनिया से बहुत परे हैं।
अक्सर इंसानों के दुनिया में राज करनेवाली औरत के पलके भीगे होते हुए देखे हैं, मैंने खुदगर्ज खुद्दार उस पुरुष के नाजुक मन को भी रोते हुए देखा हैं, जो दुनिया से काफी उम्मीदें लिए जिंदगी चला रहा है।
इतनी देर तक खुद के अदाए, तारीफें स्वीकार करे बसने अपनी चुप्पी तोड़ी।

बात मेरी सुनकर वो कहने लगी धिमे से,
यह झरना हैं ना जाने कितने अनजान चेहरों, अनजान दिलों और अनजान स्वभावों का।
लेकिन हर एक के सुकून की जगह मैं हूं।
हर एक के अपनेपन की लहर मैं हूं।
आज नहीं आर्सो से, ना जाने क्यों मुझे सवाल सताता रहता हैं, क्यों यह लेखक, शायर लिखते होंगे अर्सो बीती काल्पनिक कहानियां?
एक चक्कर मुझ में लगा देते,
जो मैं रोज देखती हूं खुद में बसी असली जीवित कहानियां।
मैं साक्षी बनती हूं हर ताजी कहानी के किताब के पन्नों की, जो ना जाने कब खत्म होगी, लेकिन इसका प्रयास मुझ में जीवित रहता हैं।
हर इंसान मुझे जीवित रखता हैं क्योंकि उस हर एक के बीच बसी मैं इस पूरे दुनिया में एकमेव हूं जो दुजाभाव से परे हर एक का सुकून हूं।
हर एक के सुकून की जगह हूं।
मेरी राह देखना आसान बात थोड़ी ना हैं, कैसे कैसे लोगोंको मैंने मेरे आने से खुश होते हुए देखा हैं।
थकेहरे चेहरे की एक शिकन को शांत पहुड़ते देखा हैं।
तुम सोचोगे इतना गुरूर किस बात का हैं, भला तुम ही बताओ इंसान बनकर तुम खिड़की के बाहर जैसे घंटो बैठते हो वो भी इतने आराम से, वह देखो और ढूंढ़कर दिखाओ ऐसी कहीं अनकही जगह जहां पैसों से भी इतना सुकून मिल सके। इतना अपनापन मिल सके। इतनी अनजाने में खुद की विश्वासभरी दुनिया मिल सकें।
बस की यह बात मुझे जो भा गई, एक नजर घुमा कर देखा मैंने, उस बस की दुनिया में।
लोग खुद में गुम थे लेकिन बस पर हक़ जताये सिसक छोड़े आराम से मस्त थे ।

Supeb