बेसब्र-ए-इश्क़|
बेसब्र-ए-इश्क़ करके, मैंने चुना एक उजाला था|दोनों हाथों से उसे बाहों में लिये, सजा वो दिया था। उसकी हर हरकत लाज़मी सी छू गुजरती थी,… Read More »बेसब्र-ए-इश्क़|
बेसब्र-ए-इश्क़ करके, मैंने चुना एक उजाला था|दोनों हाथों से उसे बाहों में लिये, सजा वो दिया था। उसकी हर हरकत लाज़मी सी छू गुजरती थी,… Read More »बेसब्र-ए-इश्क़|
उसके उड़ान का हौसला बन तू, उसके फैसले की वजह बन तू। उसे मुमबत्ती की लौ ना समझ, पत्थर चीरने की आग हैं वो। दिन… Read More »‘खुद’ का सूरज जरूर बनेगी ।
एक ही खाली संध्या थी। हम यूंही खाली बैठे थे। कुछ भी तो सोच नहीं रहे थे,चाय लगाई थी, साथ ही में दो बूंद कम चाय… Read More »आप आओगे ना.?
हम मिले थे दोनों मुठा के किनारे झेड ब्रिज के ऊपर। एक हड़बड़ाहट थी और कई बातें। कॉलेज खत्म होने के बाद यह पहली मुलाकात… Read More »झेड़ ब्रिज की संध्या ।
“कुछ नगमें जिंदगी नहीं होते …. लेकिन उनके बिना जिंदगी जिंदगी नहीं होती|” कुछ पांच साल पुरानी बात है। मुझे पता नहीं आज मैं जो… Read More »कुछ नगमें….
तुमने कहाँ मैने सुना….तुमने फिर कहाँ, मैने फिर सुना… ऐसे ही तुम कहते गये, मैं सुनती गयी|मैं सुनती गयी, तुम कहते गये… बड़े फ़ुरसत से… Read More »समझौता मोहब्बत का …
सब इत्मीनान जायज है मोहब्बत में। उनका आना और उसी सादगी से चले भी जाना। शिकायतें बेहद और बेशक हमारी थी, लेकिन गलती उनकी हो… Read More »जायज है मोहब्बत में|